कविता

**** धानी-धानी चुनर ****

लोकधुन पर आधारित गीत-

**** धानी-धानी चुनर ****

धानी-धानी चुनर धानी-धानी चुनर.
कितनी प्यारी है कितनी सुहानी चुनर.
आई परियों के जग से है कोई परी.
चाँद-तारों में लिपटी हुई सुन्दरी.
उतरी धरती पे ज्यों आसमानी चुुनर.
धानी-धानी चुनर धानी-धानी चुनर.
वो तो चूनर से ढकती है शर्मोहया.
हाय रे पर जमाने को क्या हो गया.
सबकी नजरों में खटके सयानी चुनर.
धानी-धानी चुनर धानी-धानी चुनर.
कैसे किससे कहे उसको कितना खले.
जब भी छेड़ें सड़क पर उसे मनचले.
लाज से होती है पानी-पानी चुनर.
धानी-धानी चुनर धानी-धानी चुनर.
अपनी चूनर पे उसको है कितना यकीं
कर सकेगा कोई बाल-बाँका नहीं.
उसने ओढ़ी है वो ख़ानदानी चुनर.
धानी-धानी चुनर धानी-धानी चुनर.
——-डाॅ.कमलेश द्विवेदी
——–मो.09415474674

2 thoughts on “**** धानी-धानी चुनर ****

  • गुंजन अग्रवाल

    behtreen geet

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत बढ़िया गीत, डॉ साहब !

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