दीवाली भी तब-तब हो जाएगी
जब-जब दीप जलेंगे, दीवाली भी तब-तब हो जाएगी।
अंधकार की इस दुनिया में,
नहीं उम्र होती है ज्यादा
और सूर्य की किरणों को ना
बाँध सकी कोई मर्यादा
आभा के आँचल में छिपकर, तिमिर-निधि सब खो जाएगी
जब-जब दीप जलेंगे, दीवाली भी तब-तब हो जाएगी।
तमस-दीप की युगों-युगों से
हर-पल चलती रही लड़ाई
पर नन्हें दीपक के आगे
अंधियारे ने मुँह की खाई
आशाओं की नयी रोशनी, नयी फसल ही बो जाएगी
जब-जब दीप जलेंगे, दीवाली भी तब-तब हो जाएगी।
सभी पाठकों को दीपोत्सव पर हार्दिक अभिनंदन एवं कोटिशः शुभकामनाएँ
बहुत अच्छा गीत, शरद जी.
अच्छी लगी शरद भाई .