कविता

उस दिन सुबह सुबह

उस दिन सुबह सुबह

तुमने जब मुझे चाय का कप थमाया

मैंने तुम्हारी उँगलियों कों नहीं छुवा

शाम कों छत पर

डूबते हुए सूरज कों निहारते हुए

तुम एकाएक मेरे करीब आ गयी

तब भी

मैंने तुम्हारे दुप्पटे के हाथ कों

अपने कंधे पर ..रखने नहीं दिया

कमल के पुष्प की तरह कोमल

तुम्हारे पैर बहुत ख़ूबसूरत हैं

जो कबूतर की तरह चलते हुए

मेरे सपनो में अक्सर आ जाया करते हैं

मै उन्हें तब रोक नहीं पाता हूँ …

दरअसल मै किसी मानसिक कशमकश में

उलझना नहीं चाहता

मै तो सीधे ही तुम्हारी रूह से

रिश्ता जोड़ना चाहता हूँ

तुम्हारी आँखों की खामोशी कों

बस ..पढ़ना चाहता हूँ

मै चाहता हूँ की तुम भी मुझे

सिर्फ …एक किताब के पन्नों की तरह

निर्लिप्त भाव से पलटती जाओ ….

निसंकोच ..पाप और पुण्य की खीची गयी

सीमा रेखा से …परे रह कर

kishor kumar khorendrs

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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