कविता

विदा के क्षण

 

मिलन की रेत का एक घरौंदा
जो हम दोनों ने
मिलकर बनाया था
उसकी नींव धीरे धीरे
खिसक रही हैं

अफ़सोस की एक तेज लहर
अपने हाथो उसे
उठाकर ले जाएगी

मुझे यह भी ग्यात हैं
की संयोग के वे
हीरे मोती से
सुखद पल
लुप्त हो जाएँगे

मैं फिर
यादों की उस दुनियाँ में
लौट जाउन्गा

उपर से शांत और गंभीर से
मेरे मन की झील की सतह पर
तुमने
विरह का एक नुकीला पत्थर
उछाल दिया हैं

तुम्हारे ओंठो ने बुद्बुदाया था
कष्टप्रद है यह बिछडना

वह भी शायद फिर कभी
न मिलने के लिए

तुम्हारी आँखों की गहराई में
लुके छिपे से दर्द को
महसूस करते हुऐ
मुझे पता ही नहीं चला
की
तुमसे ठीक विदा लेते हुऐ
खुद के अस्तित्व को
तुम्हें
मैने
कब सौप दिया था

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “विदा के क्षण

Comments are closed.