एक हाइकु
प्राचीन समय में पुरुष अपनी पसंद की स्त्री का हाथ मांगते समय उसके पिता को तोहफे उपहार स्वरूप में देता था, ससुराल पक्ष न तो कोई मांग रखता था न ही दहेज़ को अपनी संपत्ति कह सकता था बट अब समय पूरी तरह बदल चूका है आज वर पक्ष मुहमांगे धन की अपेक्षा रखते है जिसके न मिलने पर स्त्री को मानसिक व शारीरिक प्रताड़ित किया जाता है
प्राचीन समय में शुरू हुई यह परम्परा आज अपने पूरे विकसित और घृणित रूप में हमारे सामने खड़ी है
तुला में तुली
चढ़ी दहेज़ सूली
संस्कारी कली ।
….गुंजन
तहे दिल से धन्यवाद विजय भाई
बहुत बहुत धन्यवाद गुरमेल अंकल जी जी मेरे उत्साह को बढ़ावा देने के लिए ….आभारी हु आपकी
गुंजन बेटा , कम लफ़्ज़ों में आप ने एक किताब ही लिख दी , इस से ज़िआदा मेरे पास भी शब्द नहीं हैं .
अच्छी हाइकु. सार्थक बात !
dil se dhnywad di
सार्थक विचारणीय हाइकु…मर्मस्पर्शी !!