ग़ज़ल
अभी से खुद को आधा कर लिया है
बिछड़ने का इरादा कर लिया है
मोहब्बत से भी हम उकता गए हैं
ये सौदा भी ज़ियादा कर लिया है
भला वादे निभाये जाते हैं क्या ?
समझ कर हमने वादा कर लिया है
ये दुनिया आज भी रंगीन ही है
हम ही ने खुद को सादा कर लिया है
मुआफ़ उसको नहीं करना था लेकिन
अब इस दिल को कुशादा कर लिया है
ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी , काश मैं इसे गा सकता लेकिन मैं बोल नहीं सकता .
इस ग़ज़ल का प्रत्येक शेर लाजबाब है. बधाई श्रद्धा जी.
ये दुनिया आज भी रंगीन ही है
हम ही ने खुद को सादा कर लिया है…..बहुत बढ़िया
मोहब्बत से भी हम उकता गए हैं
ये सौदा भी ज़ियादा कर लिया है…behatarin