गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अभी से खुद को आधा कर लिया है
बिछड़ने का इरादा कर लिया है

मोहब्बत से भी हम उकता गए हैं
ये सौदा भी ज़ियादा कर लिया है

भला वादे निभाये जाते हैं क्या ?
समझ कर हमने वादा कर लिया है

ये दुनिया आज भी रंगीन ही है
हम ही ने खुद को सादा कर लिया है

मुआफ़ उसको नहीं करना था लेकिन
अब इस दिल को कुशादा कर लिया है

श्रद्धा जैन

उपनाम -श्रद्धा जन्म स्थान -विदिशा, मध्य प्रदेश, भारत कुछ प्रमुख कृतियाँ विविध कविता कोश सम्मान 2011 सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित कविता कोश टीम मे सचिव के रूप में शामिल आपका मूल नाम शिल्पा जैन है। जीवनी श्रद्धा जैन / परिचय

4 thoughts on “ग़ज़ल

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी , काश मैं इसे गा सकता लेकिन मैं बोल नहीं सकता .

  • विजय कुमार सिंघल

    इस ग़ज़ल का प्रत्येक शेर लाजबाब है. बधाई श्रद्धा जी.

  • उपासना सियाग

    ये दुनिया आज भी रंगीन ही है

    हम ही ने खुद को सादा कर लिया है…..बहुत बढ़िया

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