मन आज संभल तू जा
मन आज संभल तू जा
मन आज संभल तू जा
आज नहीं तो कल बरसेंगे श्याम घनन घनन बादल बनकर
आज नहीं तो कल भीगेंगे हम भी नैनो में काजल बनकर
पर कर ना जिद तू मनमीत सखा से, भले मन दीप बुझा
मन आज संभल तू जा
धीरज धर कुछ समय बिता ले जीवन को रंग में रंग दे
यूँ अकेला मत फिर मांझी खुदको श्याम सखा का संग दे
और डूब ना दुःख की नदिया में आज किनारे आ
मन आज संभल तू जा
__________________-सौरभ कुमार
वाह ! वाह ! बहुत खूबसूरत गीत !!