पहला खत
प्यार का है
यह पहला खत
तुम मुझे लिखने से
मना करना मत
अनुराग का
यह सिलसिला
जारी रहे अनवरत
सिर्फ तुम्हारे रुप का
मैं नहीं हूँ पुजारी
मेरी इस बात से
तुम भी हो सहमत
मूँदता हूँ जब नयन
भोर की नूर सी
तुम्हीं आती हो नज़र
सांसों में बसी हुई हैं
तुम्हारी रूह की महक
स्निग्ध चांदनी सी
बरस पड़ी हो मुझपर
प्रणय हुआ हैं हमे
एक दूजे से शाश्वत
प्यार का हैं
यह पहला खत
तुम मुझे लिखने से
मना करना मत
किशोर
वाह ! वाह !!
shukriya vijay ji
बहुत अच्छी लगी.
shukriya gurmel singh ji