कविता : तुम तक’
मैं कवि हूँ ,
तुम कविता हो मेरी
मैं लिखता हूँ,
तुम से तुम तक
मैं साज हूँ,
तुम संगीत हो मेरी
मैं गाता हूँ ,
तुम से तुम तक
मैं राही हूँ ,
तुम पथ हो मेरी
मैं जाता हूँ ,
तुम से तुम तक
मैं बादल हूँ,
तुम रिमझिम हो मेरी
मैं बरसता हूँ,
सिर्फ तुम से ,
तुम तक …..तुम तक …..तुम तक
बहुत सुन्दर !
जवानी और कविता का मेल हो जाए तो ऐसी ही कविता होती है . मज़ा आ गिया , धन्यवाद .