वेदों जैसा कोई ग्रन्थ नहीं
वेदों के सामने अन्य मजहबी ग्रन्थ तुच्छ हैं—-
(1.) डार्विन नामक ईसाई ने कहा :—- दूसरों के अनाज को खाकर जिओ ।
हक्सले व भगवान महावीर ने कहा :— जीओ और जीने दो ।
परंतु वैदिक साहित्य ने कहा :— सबको सुखी बनाने के लिए जीओ, सर्वे भवन्तु सुखिनः
(2.) बाइबिल ने कहा :—- जिसका काम उसी के दाम ।
कुरान ने कहा :—- जहान खुदा का और जिहाद इंसान करे ।
किंतु वेदों ने कहा: मेहनत इन्सान की संपत्ति भगवान की यानी तेन त्येक्तेन भुञ्जीथाः ।
(3.) बाइबिल ने कहा :— इसाई बनो
कुरान ने कहा :— मुसलमान बनो कुरान मं. 1 सि.2
किंतु वेदों ने कहा :—- मनुष्य बन जाओ —मनुर्भव जनया दैव्यं जनम्।
(4.) बाइबिल ने कहा :—- पढाई नौकरी के लिए ।
कुरान ने कहा :—- पढ़ाई कुरान पढ़ने के लिए ।
किन्तु वेदों ने कहा :—- पढ़ाई केवल नैतिकता, ज्ञान और नम्रता के लिए
(5.) अरस्तू ने कहा :— राजनीति शासन के लिए ।
कुरान ने कहा :—- शासन इस्लाम के प्रचार के लिए ।
किन्तु मेरे वेदों ने कहा :— राजनीति की अपेक्षा लोकनीति, शासन की अपेक्षा अनुशासन, तानाशाही की जगह संयम और अधिकार के स्थान पर कर्तव्य पालन करें।
(6.) इसाइयों ने कहा :— परमाणु हथियार नाकासाकी और हीरोसीमा जैसे शहरों को नष्ट करने के लिए ।
मुस्लिम आतंकियों ने कहा :— परमाणु हथियार मिल जाएं तो काफिरो को मिटाने के लिए ।
किंतु वेदों ने कहा :—- संपूर्ण विज्ञान ही जनकल्याण के लिए—- यथेमां वाचं कल्याणीमदानी वा जनेभ्यः ।
साभार- रवि वर्मा
बहुत अच्छी तुलना. अन्य तथाकथित धर्मग्रथों की तुलना में वेद मनुष्य मात्र के लिए हितकारी और उपयोगी हैं.