दो टूक-2
1- आदत
उन्हे देर से
आने की है आदत
इसीलिए तो
मुझे मिलता है वक्त
तभी तो कर पाता हूँ
उनकी मैं इबादत
2- अमृत
रोज देती हो पीने के लिए
प्यार के अमृत की एक बूँद
सदियों तक
इश्क़ को इस तरह
जीवित रखना
हुश्न को आता है खूब
3- इंतज़ार
उसने कहा था
बस अभी आई
लेकिन दिन
महीने
बरस
और न जाने कितने
जनम बीत गये
वो लौट कर नही आई
धुंधली धुंधली सी
उसकी आकृति मुझे दिखाई देती है
शायद वो आए ,न भी आए
मुझे तो इंतज़ार करना ही है
4- दर्द
पल भर के विरह मे भी
उतना ही दर्द होता है
जो जन्मो तक
बिछड़ कर
रहने मे होता है
5- गुनाह
तुम यदि नदी हो
तो मै हूँ प्रवाह
साथ साथ
बहते बहते
हो ही जाएगा
प्यार करने का
कभी न कभी गुनाह
तब बर्फ बन कर
ठहर जाउँगा
तुम्हारी छवि को
अपने हृदय मे छुपाय
किशोर कुमार खोरेंद्र
फिर कुछ अच्छी क्षणिकाएं !
वाह वाह वाह !