कविता

दो टूक-2

1- आदत 

उन्हे देर से
आने की है आदत
इसीलिए तो
मुझे मिलता है वक्त
तभी तो कर पाता हूँ
उनकी मैं इबादत

2- अमृत 

रोज देती हो पीने के लिए
प्यार के अमृत की एक बूँद
सदियों तक
इश्क़ को इस तरह
जीवित रखना
हुश्न को आता है खूब

3- इंतज़ार 

उसने कहा था
बस अभी आई
लेकिन दिन
महीने
बरस
और न जाने कितने
जनम बीत गये
वो लौट कर नही आई
धुंधली धुंधली सी
उसकी आकृति मुझे दिखाई देती है
शायद वो आए ,न भी आए
मुझे तो इंतज़ार करना ही है

4- दर्द

पल भर के विरह मे भी
उतना ही दर्द होता है
जो जन्मो तक
बिछड़ कर
रहने मे होता है

5- गुनाह 

तुम यदि नदी हो
तो मै हूँ प्रवाह
साथ साथ
बहते बहते
हो ही जाएगा
प्यार करने का
कभी न कभी गुनाह
तब बर्फ बन कर
ठहर जाउँगा
तुम्हारी छवि को
अपने हृदय मे छुपाय

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “दो टूक-2

  • विजय कुमार सिंघल

    फिर कुछ अच्छी क्षणिकाएं !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह वाह वाह !

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