गीतिका/ग़ज़ल

~~~~ये दिल~~~~

जो नही आता क्यों उसी का इंतजार करता है ये दिल
याद उस बेवफा की कर क्यों बेपनाह रोता है ये दिल

मैंने अपनी ज़िन्दगी की खुशियाँ उसके नाम लिख दी
उसके गम भी नही मेरे उसके ग़मों को तरसता है ये दिल

मेरा साया भी अब मुझसे नज़रें चुराने लगा है
जबसे उसके दिल की परछाई बन गया है ये दिल

नज़रें नही हटती उस राह से जिस राह से वो गया
उसके क़दमों की आहट सुनने को बेताब है ये दिल

मजबूर हूँ मै बहुत सामाजिक बेड़ियों में जकड़ी हूँ
क्यूँ “गुंजन” की बात उसके दिल तक नही पहुचाता है ये दिल ।10805060_357795637733321_737215321_n

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

7 thoughts on “~~~~ये दिल~~~~

  • गुंजन अग्रवाल

    ya bhai intzar rahega ..besabri se 🙂

  • गुंजन अग्रवाल

    bahut bahut aabhar vijay bhai …protsahn ke liye

  • गुंजन अग्रवाल

    dil se aabhar aa gurmel singh ji ….mujhe aapne nishabd kar diya 🙁

    • विजय कुमार सिंघल

      गुंजन जी, गुरमेल जी की अपनी कहानी बहुत बहुत प्रेरणादायक है. इसको मैं शीघ्र प्रस्तुत करूँगा उनके ही शब्दों में. अभी थोड़ी व्यस्तता है. मुझे विश्वास है वह सबको बहुत पसंद आएगी.

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह ! वाह !! बहुत खूब !!! दिल ही तो है….

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    गुंजन जी , ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी , काश मैं इसे अपने हार्मोनिअम पर गा सकता लेकिन मजबूर हूँ किओंकि मैं बोल नहीं सकता .

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