~~~~ये दिल~~~~
जो नही आता क्यों उसी का इंतजार करता है ये दिल
याद उस बेवफा की कर क्यों बेपनाह रोता है ये दिल
मैंने अपनी ज़िन्दगी की खुशियाँ उसके नाम लिख दी
उसके गम भी नही मेरे उसके ग़मों को तरसता है ये दिल
मेरा साया भी अब मुझसे नज़रें चुराने लगा है
जबसे उसके दिल की परछाई बन गया है ये दिल
नज़रें नही हटती उस राह से जिस राह से वो गया
उसके क़दमों की आहट सुनने को बेताब है ये दिल
मजबूर हूँ मै बहुत सामाजिक बेड़ियों में जकड़ी हूँ
क्यूँ “गुंजन” की बात उसके दिल तक नही पहुचाता है ये दिल ।
बहुत सुंदर
ya bhai intzar rahega ..besabri se 🙂
bahut bahut aabhar vijay bhai …protsahn ke liye
dil se aabhar aa gurmel singh ji ….mujhe aapne nishabd kar diya 🙁
गुंजन जी, गुरमेल जी की अपनी कहानी बहुत बहुत प्रेरणादायक है. इसको मैं शीघ्र प्रस्तुत करूँगा उनके ही शब्दों में. अभी थोड़ी व्यस्तता है. मुझे विश्वास है वह सबको बहुत पसंद आएगी.
वाह ! वाह !! बहुत खूब !!! दिल ही तो है….
गुंजन जी , ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी , काश मैं इसे अपने हार्मोनिअम पर गा सकता लेकिन मजबूर हूँ किओंकि मैं बोल नहीं सकता .