पूजा
तुम मुझसे कहाँ जुदा हो
तुम तो मेरे अब खुदा हो
दरिया सा तेरी ओर बह रहा हूँ
तुम्हारी यादें मेरी राहनुमा हो
तुम हंसते हो तो कमल खिलते हैं
वस्ल का वो एक मकाम खुशनुमा हो
एक तारा मुझे ताकता रहा भोर तक
रूहे नूर की तरह तुम मेरी महबूबा हो
चंदन के धुवें से घिरा रहा हवन
आत्मा के मंदिर की तुम पूजा हो
किशोर कुमार खोरेंद्र
ठीक है !