कविता

शायरी

 

मेरी शायरी मे तेरा ही ज़िक्र है
तेरी ही याद है तेरी ही फ़िक्र है

कह तो दिया मैने मुझे तुमसे मोहब्बत है
इश्क़ का मतलब कई जन्मो तक ग़मे हिज्र है

तहरीर ऐ अहसास बिना शब्दों के होते है
कोरे पन्नों से बनी इबादत की जिब्र है

मेरी हथेली की इक लकीर पर तेरा नाम लिखा है
तुम आख़िर मिल ही गये तू ही अभिन्न मित्र है

देखता था जिसे ख्वाबों मे जिसे सोचता था मन में
हूबहू तेरे चेहरे जैसा ही उस अजनबी का चित्र है

रास्तों को मालूम नही जाना कहाँ किधर है
जीवन के इस सफ़र मे करना मुझे अब सब्र हैं

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “शायरी

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह ! वाह !!

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