टीपन की सच्चाई
भैया से कह कर गोलू का नामाकंन डोनेशन देकर क्यूँ नही करवा देती हैं , जानती ही हैं ,इसके टीपन में ही लिखा है कि ये पढ़ेगा लिखेगा नहीं ….
भाभी सन्न रह गई अपने देवर की बात सुनकर …. सोच में पड़ गई , सच तो नही है टीपन में लिखी बातें ….
दो साल से गोलू प्रतियोगिता देने के लिए एक शहर से दुसरे शहर जा रहा है ….. तैयारी अच्छी हो रही लेकिन सफलता नहीं मिल रही है …. वो अपने पति से बात करने जा ही रही कि गोलू का नामाकंन डोनेशन देकर करवा दिया जाये कि उसे समाचार मिला कि गोलू प्रतियोगिता में पास हो गया है और उसका नामाकंन प्रतियोगिता के आधार पर ही होगा …. अब डोनेशन देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी …. गोलू का नामाकंन हो गया …..
देखते देखते अंतिम साल आगया …. अंतिम और आठवें समेस्टर का समय आया …. एक बार फिर भविष्य और टीपन की चर्चा , देवर ने भाभी से किया ….
इस बार बहुत ध्यान देने की जरूरत होगी क्यूँ कि गोलू का मन भटकेगा ….. वो अंतिम परीक्षा नही देगा …. उसके टीपन में है ही नही कि वो इंजीनियर बनेगा और नौकरी करेगा ….
इतने दावे की बात सुनकर भाभी फिर चिंतित हुई …. माँ का दिल … घबराना स्वाभाविक था …. लेकिन वो थी साहसी महिला …. प्रतिदिन अपने बेटे से फोन पर बात करती उसे समझाती रहती …..
अच्छे से पढना अच्छा इंसान बनना ….. आठवें समेस्टर में गोलू फर्स्ट ही नही किया 10/10 लाया …… (*_*)
अच्छी लघुकथा !
बहुत अच्छी लघुकथा विभा दीदी
स्नेहाशीष सीपी … शुक्रिया …
सच तो नही है टीपन में लिखी बातें …..achchi laghu kahani
बहुत बहुत धन्यवाद आपका