न कभी हाँ कहा….
न कभी हाँ कहा न कभी ना कहा उसने
मेरे सवालों के जवाब में कुछ ना कहा उसने
उसकी खामोशी की गहनता भी बोलती है
मेरे मन के दर्द को ,दर्द अपना कहा उसने
मेरी निगाहों की किताब को पढ़ चुकी है वो
चीर कर सीना मुझे मत दिखाना कहा उसने
रात भर उसे भी नींद नहीं आती होगी
मुझसे रोज जल्दी सो जाना कहा उसने
मैं उसकी ओर खींचा चला ज़ा रहा हूँ
मुझसे करीब मत आना कहा उसने
किशोर कुमार खोरेंद्र
बढ़िया ग़ज़ल !
shukriya vijay ji