कविता

चाँद दिखा नहीं …

 

चाँद दिखा नही बहुत अंधेरा हैं
गम के अमावाश ने आ घेरा है

तारों की तरह बिखरा है मेरा दर्द
याद में चाँदनी सा तेरा चेहरा है

तू बहती नदी मै स्थिर सागर हूँ
तेरे प्रति प्रेम मेरा अति गहरा हैं

मुँह मोड़ कर क्यों चल देते हो
जीवन मेरा तेरे लिए ही ठहरा है

निगाहें सबकी मुझे देख रही हैं
लगता है हर तरफ जैसे पहरा है

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “चाँद दिखा नहीं …

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह

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