चाँद दिखा नहीं …
चाँद दिखा नही बहुत अंधेरा हैं
गम के अमावाश ने आ घेरा है
तारों की तरह बिखरा है मेरा दर्द
याद में चाँदनी सा तेरा चेहरा है
तू बहती नदी मै स्थिर सागर हूँ
तेरे प्रति प्रेम मेरा अति गहरा हैं
मुँह मोड़ कर क्यों चल देते हो
जीवन मेरा तेरे लिए ही ठहरा है
निगाहें सबकी मुझे देख रही हैं
लगता है हर तरफ जैसे पहरा है
किशोर कुमार खोरेंद्र
वाह