कविता

फिर बही हालात

फिर बही हालात

पहले भी निशुल्क नेत्र शिविरों में
मजबूर और असहाय लोग अपनी आँख की रौशनी खोते थे
आज भी पंजाब में लोग रोशनी खो रहे हैं
पहले भी नसबंदी कैंप में लोग
अक्सर जान से खेलते थे
आज भी छत्तीसगढ़ में जान से खेल रहे हैं
पहले भी नक्सली लोग
निर्दोष लोगो की जान लेते थे
आज भी ले रहे हैं
बिदेशी फ़ौज़ पहले भी हमारी सीमा में बेबजह
घूमने आ जाते थे
आज भी आ जा रहे हैं
पहले भी कालाधन लेन की बात हो रही थी
आज भी बातें ही हो रही हैं
पहले भी बिपक्ष किसी भी बजह से हंगामा करके
सदन की कार्यबाही नहीं चलने देते थे
आज भी बही हो रहा है
बक्त बदला ,निजाम बदला
लेकिन हालत अभी नहीं बदले हैं

मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: madansbrac@gmail.com ,madansbarc@ymail.com

One thought on “फिर बही हालात

  • विजय कुमार सिंघल

    वास्तविकता को व्यक्त करती अच्छी कविता.

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