इन्तजार
सूनी राहों को
अपलक निहारूं
निराश मन…………।
यादों के दीप
अर्से से जलाए हूं
बुझा जाओ ना ………।
— भावना सिन्हा
सूनी राहों को
अपलक निहारूं
निराश मन…………।
यादों के दीप
अर्से से जलाए हूं
बुझा जाओ ना ………।
— भावना सिन्हा
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वाह ! गहरा अर्थ लिये छोटी सी कविता !
bahut khub