कविता– थोड़ी दूर साथ चलो
तुम्हारी प्रतिविम्ब हैं वे रचनाएं,
जिनकी तुम सृजन करते हो …..
वे पात्र जिनका तुम जिक्र करते हो ,
वो अनुभव जिससे होकर तुम गुजरते हो ….
वे शब्द जो तुम्हारी रचनाओं में नया मोड़ देते हैं ,
वो सपने जो तुम्हें निरंतर उर्जावान बनाते हैं …..
वे लोग जिनसे तुम प्रेरित हो ,
और वो संगीत जिसे तुम सुनते हो ,
जो तुम्हारे जीवन में अनगिनत रंग भरते हैं ….
तुम समुद्र की गहराई हो ,
मधुर हवा का झोंका हो ,
तुम विश्वास की अटूट डोर हो ….
जीवन के हर अनुभवों की अनुपम ढेर हो
जिन्दगी के हर उतार-चढाव में ,
तुम्हारा होना एक सुखद एहसास है ……
जीवन के गहनतम अंधियारों में,
प्रखरतम प्रकाश से तुम , जो हर पल नयी स्फूर्ति भरते हो
आओ , बहुत दूर ना सही,
थोड़ी दूर साथ चलें …………!!!
संगीता सिंह ‘भावना’
सुन्दर कविता !
very nice