उपन्यास अंश

उपन्यास : देवल देवी (कड़ी १)

समर्पण

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 24 फरवरी, 2012 को एक हृदय विदारक घटना घटी। इक्कीसवीं शताब्दी में जब सारा विश्व सभ्य होने का दम भर रहा है, उस समय सिंध के मीरपुर मैथोलो से एक अल्पव्यस्क और उक्त देश के अल्पसंख्यक समुदाय की एक लड़की का जबरन अपहरण करके उसका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। उस लड़की को बल्तकृत करके जबरन उक्त देश के बहुसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति के साथ निकाह करने को बाध्य किया गया। उस लड़की का नाम रिंकल कुमारी है। वह लड़की और उसके अभिभावक छोटी अदालत से लेकर सर्वोच्च अदालत तक न्याय की गुहार लगाते रहे पर उनकी आवाज को जबरन दबा दिया गया। वह लड़की रिंकल कुमारी आज भी अपने अपहरणकर्ताओं के चंगुल में है और दासियों सा जीवन जीने को बाध्य है।

Deval_Devi_by_Sudheer_Maurya

ऐसा भी नही कि उसकी रिहाई के लिए आवाज बुलंद नहीं हुई, बहुत से लोगों ने उसकी रिहाई के लिए संघर्ष किया। अमेरिका के सुनील दीक्षित, पाकिस्तान की बेगस मारवी सरमद, भारत से राकेश लखानी आदि और स्वयं मैंने अपने लेखों एवं अन्य गतिविधियों से रिंकल कुमारी के जबरन अपहरण और जबरन धर्मपरिवर्तन के मुद्दे पर संघर्ष किया पर नतीजा ढाक के तीन पात रहा।

पिछले कुछ दिनों में अकेले पाकिस्तान में ही जबरन अपहरण कर धर्मांतरण के कई केस सामने आए। फिर सारे विश्व में ऐसी कितनी घटनाएँ होती होगी जो प्रकाश में नहीं आ पाती। ऐसी घटनाओं से हमारा देश भारत भी अछूता नहीं है। जब आधुनिक सभ्यकाल में लड़कियों को यौनि शोषण के लिए अपहरण किया जा रहा है और हम सोशल नेटवर्किंग साइटो से लेस होकर भी इसे रोक नहीं पा रहे हैं। जरा सोचिए मध्यकालीन बर्बर युग में कितनी लड़कियाँ अपहृत करके बाजार में बेची गई होंगी, उनका धर्मांतरण किया होगा सेक्स सेलेव बनाकर रखा गया होगा।

युद्ध में जीती गई संभ्रात परिवार की लड़कियों को अपमानित करने के लिए और अधिक कठोर व्यवहार किया गया। देवलदेवी भी इन्हीं घटनाओं का शिकारहुई पर भाग्य से उसने अपना प्रतिशोध लिया। पर उन हजारो-हजार का क्या जो सारी आयु यौन दासी बनकर रोती-सिसकती रही। रिंकल कुमारी के अपहरण और न्याय के लिए दिखाए गए उसके अदम्य साहस ने मुझे यह उपन्यास लिखने की प्रेरणा दी।

मेरी यह कृति समर्पित है उसी साहसी लड़की ‘रिंकल कुमारी’ को।

सुधीर मौर्य

सुधीर मौर्य

नाम - सुधीर मौर्य जन्म - ०१/११/१९७९, कानपुर माता - श्रीमती शकुंतला मौर्य पिता - स्व. श्री राम सेवक मौर्य पत्नी - श्रीमती शीलू मौर्य शिक्षा ------अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा. सम्प्रति------इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन. कृतियाँ------- 1) एक गली कानपुर की (उपन्यास) 2) अमलतास के फूल (उपन्यास) 3) संकटा प्रसाद के किस्से (व्यंग्य उपन्यास) 4) देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) 5) मन्नत का तारा (उपन्यास) 6) माई लास्ट अफ़ेयर (उपन्यास) 7) वर्जित (उपन्यास) 8) अरीबा (उपन्यास) 9) स्वीट सिकस्टीन (उपन्यास) 10) पहला शूद्र (पौराणिक उपन्यास) 11) बलि का राज आये (पौराणिक उपन्यास) 12) रावण वध के बाद (पौराणिक उपन्यास) 13) मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) 14) हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास ) 15) अधूरे पंख (कहानी संग्रह) 16) कर्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) 17) ऐंजल जिया (कहानी संग्रह) 18) एक बेबाक लडकी (कहानी संग्रह) 19) हो न हो (काव्य संग्रह) 20) पाकिस्तान ट्रबुल्ड माईनरटीज (लेखिका - वींगस, सम्पादन - सुधीर मौर्य) पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन - खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच विचार, युग्वंशिका, कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, अविराम, जनहित इंडिया, शिवम्, अखिल विश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया, विश्वगाथा, सत्य दर्शन, डिफेंडर, झेलम एक्सप्रेस, जय विजय, परिंदे, मृग मरीचिका, प्राची, मुक्ता, शोध दिशा, गृहशोभा आदि में. पुरस्कार - कहानी 'एक बेबाक लड़की की कहानी' के लिए प्रतिलिपि २०१६ कथा उत्सव सम्मान। संपर्क----------------ग्राम और पोस्ट-गंज जलालाबाद, जनपद-उन्नाव, पिन-२०९८६९, उत्तर प्रदेश ईमेल [email protected] blog --------------http://sudheer-maurya.blogspot.com 09619483963

5 thoughts on “उपन्यास : देवल देवी (कड़ी १)

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    यह उप्निआस बहुत अच्छा और उन लड़किओं की वेदना को बतायेगा जिन की कोई बात नहीं करता और वोह गुमनाम हो कर रह जाती है .

    • जी सर आशा है ये उपन्यास उस समय की लड़किओं / राजकुमारियों की व्यथा बताने में कामयाब होगा।

  • विजय कुमार सिंघल

    समर्पण से पता चलता है कि यह उपन्यास बहुत रोचक है. इसकी कड़ियों की प्रतीक्षा है.

    • ये उपन्यास तत्कालीन सुल्तानों के अत्याचारों को प्रतिबिम्बित करने में सफल होगा, ऐसा मेरा मानना हे।

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