काश
काश तुममें
काश्मीर की
चाहत ना होती
माँ गोद छिना
बच्चों का घर जख्मी
भू अंक मिला
तुमने क्या पाया
जेहाद व जे हाल
तमन्ना तुम्हारी थी
=
मैं बीएड में पढ़ रही थी एक कहने सुनने की कक्षा चल रही थी। …. पूरे कक्षा में हम तीन चार थे जो थोड़े ज्यादा ही गर्म मिजाज के थे। …। जिसमें एक लड़का मुसलमान था। …. उसने सुनाया ……
पत्थर पूजन हरि मिले
तो मैं पूजूं पहाड़
या भली चक्की
पीस खाए संसार
= मैं उबल पड़ी और थोड़े जोर से ही चिल्ला बैठी …..
कंकड़ पत्थर चुन के
मुल्ला दिए मस्जिद बना
ता पर चढ़ के मौला बांग दे
बहरा हुआ क्या खुदा
= बहुत वर्षों तक लगता रहा कि बचकानी हरकत थी …..
सबकी घूरती निगाह हमेशा पीछा करती रही ….
आज तो सच में बहरा लगा ख़ुदा
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क्या करारा व्यंग्य है ! वाह !!
धन्यवाद आपका
आज तो सच में बहरा लगा ख़ुदा…..khuda bhi bahara …insaan bhi bahare ….duniya ke sare log is atyachar ke khilaf ek jut kyon nahi ho jate ….
समय आ गया है एक जुट होने का …. अब नही हुए तो पछताने का भी मौका नही मिलेगा ….
विभा जी , यह विअंग बिलकुल करारा है , और सही है . जो पाकिस्तान ने बोतल से भूत निकाल कर भारत की ओर छोड़ रखा था वोह खुद को ही मिटाने लगा है . अब यह भूत अपने आका की सुनता नहीं है .
आभार आपका …. आपने बिलकुल सही कहते हैं