खट्ठा-मीठा : नमस्कार दांव
अपने धरतीपुत्र नेताजी मुलायम सिंह पहलवान रहे हैं। नेतागीरी से पहले वे मास्टरी और उससे भी पहले पहलवानी करते रहे हैं। उनको अनेक दांव आते ही होंगे। ढाक, धोबीपाट, घोड़ापछाड़ जैसे दांव उन्होंने खूब आजमाये होंगे। लेकिन अभी संसद में उन्होंने मोदी जी पर एक नया दांव आजमाया। वह दांव है ‘नमस्कार दांव’। उन्होंने बिना पास आये दूर से ही हाथ जोड़कर मोदी जी की दिशा में चिल्लाकर कहा- ‘मोदी जी, मेरा नमस्कार तो ले लो।’ मोदी जी सीधे आदमी जरूर हैं, लेकिन दांव पेंच से सावधान भी रहते हैं। इसलिए उन्होंने दूर से ही उनका नमस्कार झेल लिया और अपने काम में लग गये।
मोदी जी पर नेताजी का ‘नमस्कार दांव’ खाली गया, लेकिन उनके अपने पक्ष के यानी सेकूलर लोगों पर वह दांव चल गया। वे इस दांव को नेताजी की शालीनता और सभ्यता का प्रमाण बताने लगे, जिनके दर्शन आजकल दुर्लभ हो गये हैं।
महाभारत में एक अस्त्र का उल्लेख आता है, जिसका नाम था ‘नारायणास्त्र’। उस अस्त्र की कोई काट किसी के पास नहीं थी। जिसके ऊपर वह चल जाता था, उसका खत्म होना तय था। लेकिन जो उस अस्त्र को देखते ही नमस्कार करने लगते थे, उनको वह छोड़ देता था।
लगता है कि नेताजी ने भी महाभारत के उस अस्त्र के बारे में पढ़ रखा है। वे मोदी जी की तुलना उस अस्त्र से कर रहे हों, तो कोई आश्चर्य नहीं है, क्येांकि मोदी जी आजकल पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण सभी दिशाओं में दिग्विजय कर रहे हैं और उनकी कोई काट किसी के पास नहीं है। सम्भव है कि नेताजी ने सोचा हो कि नमस्कार करने से मोदी जी की काट की जा सकती है या कम से कम उसके विनाशकारी प्रभाव से बचा जा सकता है। इसलिए पूरा संभावना है कि उन्होेंने इसीकारण ‘नमस्कार दांव’ चला हो। वैसे भी ‘नमो नमो’ का नारा आजकल खूब चल रहा है।
— बीजू बृजवासी
हा हा हा , बहुत खूब .
धन्यवाद भाई साहब ! बस एक आईडिया आया और लिख मारा !