कविता

ताँका

1

नया सूरज
नया सवेरा लाए
मन मुस्काए

ख़ुशियों की रागनी
ये मन-वीणा गाए ।
2
उषा मोहिनी
नभ पथ चली, ले
सोने सी काया
पीछे प्रीत पाहुन
दिवस मुग्ध, आया ।
3
भोर है द्वार
गाते पंछी करते
मंगलाचार ।
पवन भी मगन
प्रेम वर्षे अपार ।
4
झीनी चादर
सिहरा सा सूरज
ढूँढे अलाव।
क्यों हुआ हाल ऐसा
बड़ा खाता था ताव !
5
ठिठुरी धूप
ढूँढे है, कहाँ गया ?
सूरज भूप ।
भोर ले के आ गई
क्यूँ ये ठंडा सा सूप ?
6
तुहिन पुष्प
अम्बर बरसाए
धरा लजाए ।
नवोढ़ा, सिमटी -सी,
ज्यों छुपी -छुपी जाए ।
— डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

परिचय : डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा जन्म स्थान : बिजनौर (उ0प्र0) शिक्षा : संस्कृत में स्नातकोत्तर उपाधि ( लब्ध स्वर्ण-पदक )एवं पी-एच 0 डी0 शोध विषय : श्री मूलशंकरमाणिक्यलालयाज्ञनिक की संस्कृत नाट्यकृतियों का नाट्यशास्त्रीय अध्ययन । प्रकाशन : 'ओस नहाई भोर'(एकल हाइकु-संग्रह), 'महकी कस्तूरी'(एकल दोहा-संग्रह), 'तुमसे उजियारा है' (एकल माहिया-संग्रह) । अन्य प्रकाशन - ‘यादों के पाखी’(हाइकु-संग्रह ), ‘अलसाई चाँदनी’ (सेदोका –संग्रह ) एवं ‘उजास साथ रखना ‘(चोका-संग्रह), हिन्दीहाइकुप्रकृति-काव्यकोश,, डॉसुधागुप्ताकेहाइकु मेंप्रकृति( अनुशीलनग्रन्थ),हाइकु –काव्यशिल्पएवंअनुभूति,समकालीनदोहाकोशमेंरचनाएँप्रकाशित।विविध राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय (अंतर्जाल पर भी )पत्र-पत्रिकाओं, ब्लॉग पर यथा – हिंदी चेतना,गर्भनाल, अनुभूति, अविराम साहित्यिकी, रचनाकार, समृद्ध सुखी परिवार,सादर इंडिया, उदंती, लेखनी, शोध दिशा, राजभाषा आश्रम सौरभ , यादें, अभिनव इमरोज़, सहज साहित्य, त्रिवेणी, हिंदी हाइकु, लघुकथा . कॉम, साहित्य कुञ्ज, विधान केसरी, प्रभात केसरी, नूतन भाषा-सेतु,नेवा: हाइकु, सरस्वतीसुमन आदि में हाइकु,सेदोका,ताँका,चोका,गीत,माहिया,दोहा, कुंडलियाँ, घनाक्षरी, ग़ज़ल, बाल कविताएँ, समीक्षा, लेख, क्षणिका आदि विविध विधाओं में अनवरत प्रकाशन । ब्लॉग : jyotirmaykalash.blogspot.in सम्प्रति : स्वतन्त्रलेखन सम्पर्क :एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला- वलसाड, गुजरात (भारत ) पिन- 396191 e-mail [email protected] [email protected]

2 thoughts on “ताँका

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छे तांका !

    • डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

      बहुत आभार !

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