क्या ‘पीके’ पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए?
बहुत से हिन्दू संगठन और व्यक्ति आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उसमें हिन्दू धर्म की मान्यताओं और परम्पराओं का मजाक उड़ाया गया है. मेरे विचार से ऐसा करने से कोई लाभ नहीं है. ऐसा करके वे फिल्म का और प्रचार ही कर रहे हैं.
इसके स्थान पर हमें इस फिल्म का रचनात्मक विरोध करना चाहिए. मेरे कहने का मतलब है कि हमें इसके जबाब में ऐसी फिल्म बनानी चाहिए जिसमें इस्लामी परम्पराओं और मान्यताओं, जैसे कब्र पूजा, कब्रों पर चादर चढ़ाना, बकरीद पर बकरे काटना, हज करना, पांच बार नमाज़ पढ़ना, चार चार शादियाँ करना, बीस-बीस बच्चे पैदा करना, हलाला करना, जिहाद के नाम पर बेकसूरों की हत्या करना आदि का विरोध किया गया हो या उनका मजाक बनाया गया हो.
क्या कोई हिन्दू संगठन ऐसी फिल्म नहीं बना सकता? अगर ऐसी फिल्म बन जाती है तो अगले दिन से ही दूसरे धर्मों का मजाक बनाने वाली सभी फिल्मों का बनना हमेशा के लिए बंद हो जायेगा. आज जो सेकुलर संप्रदाय के लोग ‘पीके’ का समर्थन कर रहे हैं, उस फिल्म की छीछालेदर करने में सबसे आगे आ जायेंगे.
achchaa lekh …
धन्यवाद जी.