मुक्तक
नींव विश्वास की मजबूत हो तभी पनपते हैं रिश्ते
क्षल, कपट, द्वेष की तपिश से पिघलते हैं रिश्ते
हसरतों की चाहत में गमों को सिलते ही रहना
सच की आधार शिला पर टिके होते हैं रिश्ते !
नींव विश्वास की मजबूत हो तभी पनपते हैं रिश्ते
क्षल, कपट, द्वेष की तपिश से पिघलते हैं रिश्ते
हसरतों की चाहत में गमों को सिलते ही रहना
सच की आधार शिला पर टिके होते हैं रिश्ते !
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वाह !
hardik aabhar Man Mohan ji
सुन्दर एवं उत्कृष्ट रचना। बधाई।