मुक्तक
नई भोर की सतरंगी छवि
नई कविता लिखता है कवि
गढ़ते है शब्द उकेरे चित्र
निकलता जब बादलो से रवि
आँखों में सपने लिए स्वागत नये वर्ष का
नई किरण के साथ रवि आया नये वर्ष का
सबके सपने सजे खुशियाँ मिले अनंत तो
करो स्वागत दो हजार पन्द्रह नये वर्ष का
बढ़िया, बहिन जी ! आपकी लघुकथाओं की प्रतीक्षा है.
dhnyvaad vijay kumar bhai ji…shighr hi lghukatha post karti hun
नववर्ष की सुभकामनाएँ
aapko bhi nav varsh ki shubh kaamnaye
बहुत अच्छा लगा .
aadrniy gurmel bhai sahab dhnyvaad