मुक्तक/दोहा

मुक्तक

नई भोर की सतरंगी छवि
नई कविता लिखता है कवि
गढ़ते है शब्द उकेरे चित्र
निकलता जब बादलो से रवि

आँखों में सपने लिए स्वागत नये वर्ष का
नई किरण के साथ रवि आया नये वर्ष का
सबके सपने सजे खुशियाँ मिले अनंत तो
करो स्वागत दो हजार पन्द्रह नये वर्ष का

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

6 thoughts on “मुक्तक

Comments are closed.