एक कविता के बाद भी…
एक कविता के बाद भी
बची रह जाती है
मेरे पास लिखने के लिए
या फिर
पढ़ने के लिए –
अनेक कविताएं …….
क्या कवितायें भी मुझे
ढ़ूढतीं है – जैसे
गुलाब ढूंढ लेता है एक पौधा
या
एक पौधा ढूंढ लेता है अनेक गुलाब
घोसलों को चाहिए चिड़ियाँ
और चिडियों को चाहिए घोसला
तो क्या
पाठशाला को मिल जायेंगे वो सारे बच्चे
जिन्हें जानना है सच को
और सच को मिल जायेंगे वो पाठशाला जहां
पढना है बच्चो को –
तभी तो कवितओं को मिलेंगे लोग
और लोगो से मिलेंगी
अच्छी सच्ची कवितायें
किशोर कुमार खोरेन्द्र
बहुत खूब !
thank u
बहुत अच्छी .
shukriya
किशोर जी सही कहा आपने ….
dhnyvaad
बहुत अच्छी कविता आदरणीय किशोर जी की
thankx a lot