मां, तुम कितनी अच्छी हो ! -5
वहां से बच भी गई,
तो क्या पापा या भैया से तुम,
मुझे बचा पाओगी,
क्योंकि उनके पक्ष में तो,
आधुनिक संत कहेंगे,
श्रीरामचरितमानस में लिखा है,
“कलिकाल बिहाल किये मनुजा,
नहिं मानत क्वौ अनुजा तनुजा”
कि कलियुग में कोई भी बहन और बेटी,
का विचार नहीं करेगा,
वे तो शास्त्रों के कथन को,
अपने कर्मों से,
सत्यापित कर रहे हैं,
पाप नहीं, वे तो परम धर्म कर रहे हैं,
उन्हें प्रताड़ना नहीं मिलना चाहिए,
बल्कि धर्मरत्न का अवार्ड मिलना चाहिए,
मां, तुम तो डरो मत,
तुम पीछे हटो मत,
मां, तुम संतों से जरूर बचना,
ये संत, बड़े ही कलाकार होते हैं,
चरित्र के मामले में आर पार होते हैं,
तुम उनके पास किसी “आशा” के साथ,
या “राम” को पाने के लिए जाओगी,
तो किसी भी तरह से तुम्हें या मुझे फुसलाएंगे,
मेरे शरीर के बहाने,
मेरी आत्मा को छेद डालेंगे,
और कृष्ण की गीता को,
पल भर में झुठलाएंगे,
कि नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि,
तुम तो मुझे जन्मने से पहले ही,
ऐसे दुष्टों से बचा रही हो,
मां, तुम कितनी अच्छी हो,
बहुत मार्मिक !