गीत नया गाऊँगा
गीत नया गाऊँगा
झुलसते जेठ मेँ
सिकुडती पत्तियोँ सा
मैँ ना मुरझाऊँगा,
गीत नया गाऊँगा
गीत नया गाऊँगा।
पाषाण के हृदय पर प्रेम लिख दूँगा,
शोक के काल पर कुशल क्षेम लिख दूँगा,
टूटते मन को किँतु मैँ ना गिराऊँगा,
गीत नया गाऊँगा,
गीत नया गाऊँगा।
लहरोँ के भीषण से हार नही मानी,
चट्टानोँ से सीने को टकराने की ठानी,
मृत्यु से लड लूँगा पर शीश ना झुकाऊँगा,
गीत नया गाऊँगा,
गीत नया गाऊँगा।
___सौरभ कुमार दुबे
बढ़िया साहस पूर्ण …
बहुत सुन्दर गीत !