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मौत का पेय

किसी शायर ने लिखा है-

पीके मदहोश तो हुए थे हम भी
पर ये रिन्दों के जनाजे कहाँ देखे थे?

उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ के निकट ही गांवों में जहरीली शराब पीने से कई दर्जन लोगों की मृत्यु होना बहुत लज्जाजनक है. पहले सस्ती देशी शराब बेचकर उनको पीने कि लत लगायी जाती है. फिर शराब पर तरह तरह के टैक्स लगाकर उसके दाम बढा दिए जाते हैं. शराब की लत का परिणाम लोगों के पारिवारिक बिखराव और दरिद्रता में होता है.

शराब से सरकारों को बहुत आमदनी होती है. लाइसेंस वाली देशी शराब के आसमान छूते दामों के कारण गरीब लोग सस्ती कच्ची अवैध शराब पीने को बाध्य होते हैं, जिसकी परिणति उनकी अकाल मृत्यु के रूप में होती है.

इसकी मुख्य जिम्मेदारी शासन की है. वैध शराब बिकवाने के साथ ही उसको यह पक्का प्रबंध करना चाहिए कि कहीं भी अवैध शराब न बन और बिक रही हो. ऐसी कोई भी हरकत पुलिस कि जानकारी में आये बिना रह ही नहीं सकती, क्योंकि हर गाँव में पुलिस के मुखबिर होते हैं. लेकिन दबंगों से आने वाले धन के लालच में पुलिस अधिकारी अपनी आँखें बंद कर लेते हैं.

सबसे अच्छा तो यह होगा कि हर तरह की शराब बेचना बंद कर दिया जाये और पूर्ण नशाबंदी लागू की जाये. केवल विदेशी पर्यटकों को इसकी अनुमति होनी चाहिए. गुजरात में सफलता से नशाबंदी लागू है. ऐसा अन्य राज्यों में क्यों नहीं हो सकता?

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]

7 thoughts on “मौत का पेय

  • उपासना सियाग

    नशा तो सच में नाश का कारन ही बनता है।

    • विजय कुमार सिंघल

      बहुत बहुत धन्यवाद.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छा विचार है , कम्प्लीट बैन ही इस का इलाज है . इतनी मौतें होती हैं इस देसी शराब से , हैरानी होती है कि धर्म परचार तो बहुत होता है लेकिन नशा बंद परचार कभी नहीं होता . सरकार को इतना टैक्स मिलता है कि वोह बोलती ही नहीं . सिहत के लिए पंजाब कभी देश में पहले स्थान पर था लेकिन आज हर तीन में से दो नौजवान नशाग्रस्त हैं . पंजाब को पांच दरिआ का देस बोलते थे , आज छठा दरिया शराब का हो गिया है. शराब के इलावा ऊपर से हेरोइन चरस भंग और इंजेक्शन चल पड़े हैं , भगवान् जाने भारत का किया होगा.

    • विजय कुमार सिंघल

      सही कहा, भाई साहब आपने. मैं पंचकुला में रह चुका हूँ, जो पंजाब से सटा हुआ है. मुझे पता है कि नशे ने पंजाब के युवकों को अन्दर से खोखला कर दिया है. एक समय था जब सेनाओं में पंजाब के वीर युवकों की बड़ी संख्या थी और हर बार भर्ती में भी उनका बोलबाला रहता था. लेकिन आज हालत यह है कि भर्ती के लिए आने वाले ८०% युवक शारीरिक परीक्षा में फेल हो जाते हैं.
      शोक ! महाशोक !!

  • Man Mohan Kumar Arya

    प्रशंसनीय विचार एवं सुझाव। ऐसी घटनाए प्रजातंत्र की कमजोरियां है। देशवासियों का चरित्र भी इससे परिलक्षित होता है। दंड व्यवस्था में सुधार की भी आवश्यकता है।

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद, मान्यवर ! आपका कहना सत्य है. नशा बहुत सी समस्याओं और अपराधों का कारण बनता है.

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