पूरे चाँद की रात
आज फिर पूरे चाँद की रात है ;
और साथ में बहुत से अनजाने तारे भी है…
और कुछ बैचेन से बादल भी है ..
इन्हे देख रहा हूँ और तुम्हे याद करता हूँ..
खुदा जाने ;
तुम इस वक्त क्या कर रही होंगी…..
खुदा जाने ;
तुम्हे अब मेरा नाम भी याद है या नही..
आज फिर पूरे चाँद की रात है !!!
बहुत बढ़िया।
बहुत खूब .
वाह ! अच्छी प्रेम कविता !