राजनीति

अब दिल्ली विधानसभा के चुनाव हो गये बेहद रोचक

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली विधानसभा के चुनाव अबकी बार बेहद रोचक होते जा रहे हैं। इस बार के चुनावों में आम आदमी पार्टी के नाता अरविंद केजरीवाल का मुकाबला करने के लिए हर पार्टी अपनी पूरी ताकत लगा रही है। पहले दिल्ली विधानसभा के चुनाव केजरीवाल बनाम प्रधानमंत्री मोदी और 49 दिन बनाम मोदी सरकार के छह माह के बीच होने जा रहे थे। इस बार के विधानसभा चुनावों का समीकरण कई कोणों से बदल चुका है तथा देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद यह चुनाव और भी सतरंगी हो गया है। किरण बेदी के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद अब लगभग समाजसेवी अन्ना हजारे के लगभग सभी शिष्यगणों ने किसी न किसी पार्टी के साथ अपनी राजनैतिक पारी को प्रारम्भ कर दिया है। एक प्रकार से अन्ना हजारे राजनीति के चक्रव्यूह में बिलकुल अकेले होते जा रहे हैं। अन्ना आंदोलन की पूरी की पूरी टीम सिकुड़ चुकी है।

आप नेता अरविंद केजरीवाल इस बार भी अपनी पुरानी चालों के आधार पर ही भारतीय जनता पार्टी को रोकने में लगे थे लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह ने काफी चालाकी के साथ किरण बेदी को आगे करके व केजरीवाल की विश्वस्त महिला ब्रिगेड मुस्लिम चेहरे शाजिया इल्मी व कुछ पूर्व अल्पसंख्यक विधायकों व नेताओं को तोड़कर केजरीवाल को शुरूआती झटका देने में कामयाबी हासिल कर ली है। अभी कुछ और आप नेता भाजपा में जा सकते हैं। किरण बेदी के भाजपा में शामिल होने के बाद सुनंदा पुष्कर मर्डर केस में जांच के दायरे में फंसे शशि थरूर ने इसे स्वस्थ्य संकेत कहा जबकि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह कहते हैं कि किरण बेदी दिल्ली में अब मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार हो गयी हैं लेकिन अब हर्षवर्धन,जगदीश मुखी, विजय गोयल तथा सतीश उपाध्याय सरीखे नेताओं का क्या होगा? वास्तव में दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी व कांग्रेस यह सोच रही थी कि वह लोग भाजपा की आंतरिक गुटबाजी व मोदी सरकार की नकारात्मक छवि का लाभ उठाकर एक बार फिर दिल्ली का दिल जीतने में सफल हो जायेंगे लेकिन उन्हें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के मास्टरस्ट्रोक की भनक तक नहीं थी।

केजरीवाल समझ रहे थे कि भाजपा की ओर से जगदीश मुखी या सतीश उपाध्याय में से ही कोई मुख्यमंत्री पद का दावेदार होगा, लेकिन किरण बेदी का नाम सामने आने से उनकी रणनीति को जोर का झटका तो लग ही गया हैं। अब भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाकर भाजपा को घेरना केजरीवाल के लिए आसान नहीं होगा। उधर कांग्रेस भी एक राजनैतिक दल होने के नाते ही सही दिल्ली में एक बार फिर अपनी जमीन तलाशने की तैयारी कर रही हैं। केजरीवाल से पिछले चुनावों में मात खा चुकी कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित चुनाव मैदान में तो नहीं हैं लेकिन वह संगठनात्मक सहयोग तो कर ही रही हैं। दिल्ली में कभी कोई चुनाव नहीं हारने वाले अजय माकन को इस बार सारी कमान सौंपी गयी है तथा यह उनके लिए एक कड़ी परीक्षा साबित होने जा रहे हैें। सभी सर्वेक्षणों में व सोशल मीडिया में कांग्रेस को 3- 8 सीटें अभी तक दी जा रही हैें।

कांग्रेस ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी को टिकट दिया हैं वहीं किरण वालिया इस बार केजरीवाल का मुकाबला करने जा रही हैं। कांग्रेस हाईकमान ने सभी पराजित सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था लेकिन उनमें से एक- दो को छोड़कर सभी ने मना कर दिया। खबरें यह भी है कि इस बार कांग्रेस में भी आंतरिक गुटबाजी कम नहीं है। जिसके चलते कांग्रेस का माहौल नहीं बन पा रहा है कुछ लोगों ने राहुल गांधी को सुझाव दिया था कि दिल्ली में अब आम आदमी पार्टी को मजबूती प्रदान की जाये तथा चुनावों के बाद संभव हो तो आप को समर्थन देकर सरकार भी बनवायी जा सकती है। लेकिन राहुल को फिलहाल इस प्रकार का कोई भी सुझाव पसंद नहीं आया वे कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा देखना चाहते हैें। इसी कारण कांग्रेस एक बार फिर तीसरे नंबर पर जाती हुई दिख रही है। कुछ सीटों पर लड़ाई में आ सकती है। उधर दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबले के बीच बसपा नेत्री मायावती ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर चुनावों को चतुष्कोणीय बनाने का काम कर दिया हैं वहीं अभी जनता परिवार की रणनीति का पता नहीं चल सका है।

अभी दिल्ली में चुनावों की बेहद प्रारम्भिक गहमागहमी का दौर चल रहा है। धुआंधार रैलियों का दौर तो अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के समापन के बाद ही शुरू होगा। भाजपा पूरी ताकत इन चुनावों में लगाने जा रही है। किरण बेदी व शाजिया इल्मी सहित कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद कार्यकर्ताओं मेें नया उत्साह व जोश तथा उम्मीद की नयी किरण जागी है। आंतरिक गुटबाजी पर कुछ सीमा पर रोक लगी है।

पूर्व महिला आईपीएस किरण बेदी की एक बेहद ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ तथा कड़क अफसर वाली छवि रही है जिसे अब भाजपा कैश करने का प्रयास करने जा रही है। किरण बेदी को लोग टी वी पर बहसों के दौरान देखते- सुनते रहे हैं उनके प्रति युवाओं तथा विशेषकर युवा लड़कियों में प्रभाव देखा जा सकता है। किरण बेदी को दिल्ली पुलिस का भी सहयोग व समर्थन हासिल हो सकता है क्योंकि जब केजरीवाल दिल्ली में 49 दिनों के मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होनें दिल्ली पुलिस के खिलाफ हल्ला बोल दिया था। जबकि किरण बेदी के विचार सुधारवादी हें। भाजपा में शामिल होने के बाद लगभग हर टी वी चैनल में वे छा गयी हैें तथा अपने दिल्ली मिशन पर विचार भी देने लग गयी हैं उनका कहना है कि वे दल्ली के लिए बहुत कुछ करना चाहती है। उनका सपना है कि दिल्ली विश्व की नंबर वन राजधानी बनकर उभरे। यहां पर हर महिला अपने आप को सुरक्षित अनुभव करे। किरण बेदी के दम पर अब भाजपा दो- तिहाई से अधिक सीटें जीतने का सपना संजो रही है।किरण बेदी का कहना है कि,” मेरे पास 40 साल का प्रशासनिक अनुभव है तथा मैं अपना अनुभव देना चाहती हूं ,मुझे काम करना भी आता है और करवाना भी।“

चाहे जो हो इस बार दिल्ली विधानसभा के चुनाव अब पहली बार की तरह नहीं रह गये हैं। यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी व अमित शाह तथा आप नेता केजरीवाल के लिए नाक की सवाल बनते जा रहे हैं।

3 thoughts on “अब दिल्ली विधानसभा के चुनाव हो गये बेहद रोचक

  • महेश कुमार माटा

    केजरीवाल तो गयो भाया…… हा हा हा हा

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    केजरीवाल का बोल बाला बहुत था लेकिन ४९ दिन के बाद दौड़ जाने से उस ने खुद को ही बुरी तरह ख़तम कर दिया . आप पार्टी का मैनिफैस्तो बुरा नहीं था लेकिन उस की गलतिओं ने आप का भठा तो पहले ही बिठा दिया है , सो बीजेपी का आना तय है .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख. दिल्ली के चुनाव में अगर भाजपा जीत गयी जैसी कि प्रबल सम्भावना है, तो केजरीवाल की राजनीति का भट्ठा बैठना तय है. कांग्रेस तो मुकाबले में ही नहीं है.

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