मोहब्बत
तुम अपने हाथो की मेहँदी में
मेरा नाम लिखती थी और
मैं अपनी नज्मो में तुझे पुकारता था जानां ;
लेकिन मोहब्बत की बाते अक्सर किताबी होती है
जिनके अक्षर
वक्त की आग में जल जाते है
किस्मत की दरिया में बह जाते है ;
तेरे हाथो की मेंहदी से मेरा नाम मिट गया
लेकिन मुझे तेरी मोहब्बत की कसम ,
मैं अपने नज्मो से तुझे जाने न दूंगा…
ये मेरी मोहब्बत है जानां !!
बहुत खूब.
वाह! सुंदर प्रेम कविता !!
सुन्दर पंक्ति।