मुक्तक : मानो या ना मानो …..
तुम यकीन करो न करो हम बताएँगे जरुर
तुम सुनो चाहे न सुनो हम सुनायेंगे जरुर
रूठना मनाना भी लाज़मी है रिश्तो के दरमियाँ
अब तुम मानो या न मानो हम मनाएंगे जरुर !
तुम यकीन करो न करो हम बताएँगे जरुर
तुम सुनो चाहे न सुनो हम सुनायेंगे जरुर
रूठना मनाना भी लाज़मी है रिश्तो के दरमियाँ
अब तुम मानो या न मानो हम मनाएंगे जरुर !
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बहुत सुन्दर जी।
बढ़िया मुक्तक !
सादर धन्यवाद
चन्द लफ़्ज़ों में इतना कुछ कह दिया , अच्छा लगा.
सादर धन्यवाद….
बहुत बढ़िया जी।
शुक्रिया उपासना जी