कविता

मुक्तक : मानो या ना मानो …..

तुम यकीन करो न करो हम बताएँगे जरुर
तुम सुनो चाहे न सुनो हम सुनायेंगे जरुर
रूठना मनाना भी लाज़मी है रिश्तो के दरमियाँ
अब तुम मानो या न मानो हम मनाएंगे जरुर !

प्रवीन मलिक

मैं कोई व्यवसायिक लेखिका नहीं हूँ .. बस लिखना अच्छा लगता है ! इसीलिए जो भी दिल में विचार आता है बस लिख लेती हूँ .....

7 thoughts on “मुक्तक : मानो या ना मानो …..

  • रमेश कुमार सिंह

    बहुत सुन्दर जी।

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया मुक्तक !

    • प्रवीन मलिक

      सादर धन्यवाद

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    चन्द लफ़्ज़ों में इतना कुछ कह दिया , अच्छा लगा.

    • प्रवीन मलिक

      सादर धन्यवाद….

  • उपासना सियाग

    बहुत बढ़िया जी।

    • प्रवीन मलिक

      शुक्रिया उपासना जी

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