सामाजिक

फ़ेसबूक प्रेम

प्रेम एक एहसास है ,या यूँ कहें कि प्रेम वह अवस्था है जब खुद से ज्यादा आप जिससे प्रेम करते हैं उसकी खुशियों की परवाह करते हैं | जब हम प्रेम में होते हैं तो अपने सबसे अधिक प्यारी चीज़ का भी समर्पण कर देते हैं | वक्त बदला,सोच बदली रिश्ते बदले और साथ ही प्रेम की परिभाषा भी बदल गई | आज प्रेम मात्र शब्दों में सिमटकर रह गया | प्रेम दो लोगों के बीच का सबसे उन्मुक्त व्यवहार है और इसमें किसी भी दिखावे के लिए कोई जगह नहीं होती | प्रेम और मित्रता से निराश हुए अनगिनत लोग आजकल फेसबुक के आभासी दुनिया में समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं | प्रेम की तलाश का यह प्लेटफार्म भी काफी अनोखा है ,जहाँ बिना मिले,बिना पहचाने ,सिर्फ तस्वीर देखकर आज की पीढ़ी दोस्ती से लेकर प्रेम और अन्तरंग रिश्तों के सपने बुनने लगती है |

आश्चर्य होता है ,जहाँ न विचारों का मेल है न परिवार की सहमती और न ही रिश्तों की मर्यादा ……….तो फिर कैसे या किस आधार पर लोग इस कदर दीवाने हो जाते हैं कि उन्हें वास्तविकताओं का भी ज्ञान नहीं रह जाता है | जाने -पहचाने लोगों से अगर बातचीत हो या पहल हो तो अलग बात है ,लेकिन असल मायने में यह इंटरनेट की दुनियां मायावी इसलिए है, क्योंकि इसके जरिये आपसे बात करनेवाला व्यक्ति कितना सही है या कितना गलत इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है | हम -आप सभी इस बात से भली भांति परिचित हैं फिर भी इस आस में रहते हैं कि शायद कोई ऐसा मिल जाये जिससे मिलकर हमारे वर्षों का अधूरापन ख़त्म हो जाये |

सच मानिये तो यह एक आभासी तिलिस्म है जिसमें फंसने के बाद इंसान कहीं का नहीं रह जाता है | इंटरनेट की आभासी दुनियां में किसी की सही जानकारी मिलना बहुत मुश्किल है ,यहाँ हर आदमी एक मुखौटा लगाकर खड़ा है ऐसे में यह साबित करना मुश्किल हो जाता है कि वह व्यक्ति जो प्यार के बड़े-बड़े वादे कर रहा है ,असल जिंदगी में वह क्या रंग दिखायेगा | भावनात्मक खिलवाड़ का या मामला ऐसा नहीं कि सिर्फ फेसबुक के माध्यम से ही हो ,असल दुनियां में भी यह मामला काफी आगे बढ़ चूका है | मैंने तो ऐसे कई मामले देखें हैं जिसमें पहली बार ही मिलने पर एक नजर ने ही घायल कर दिया ,तो क्या आप इसे प्रेम समझ बैठेंगे ……..? कतई नहीं ,यह एक मायाजाल है जो कभी भी आपके जीवन को नकारात्मकता की ओर ले जा सकता है |

मित्रता और प्रेम में जो सबसे पहली बात होती है कि आपका लगाव जिस व्यक्ति के प्रति बढ़ रहा है उसके बारे में आप कितना जानते हैं | जिस इन्सान को आप जानते नहीं ,जिसके गुण-अवगुण से आप वाकिफ नहीं,जिसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का कोई अता -पता नहीं ,उसकी मानसिक अवस्थाओं का कोई बोध नहीं, फिर ऐसा व्यक्ति व् ऐसे व्यक्ति का प्रेम दोनों ही गलत है| प्रेम के लिए बहुत जरूरी होता है कि आप जिससे प्रेम करते हों उस व्यक्ति का सम्पूर्ण ज्ञान हो और अटल विश्वास हो तभी प्रेम सार्थक होता है |

संगीता सिंह ‘भावना’
वाराणसी

संगीता सिंह 'भावना'

संगीता सिंह 'भावना' सह-संपादक 'करुणावती साहित्य धरा' पत्रिका अन्य समाचार पत्र- पत्रिकाओं में कविता,लेख कहानी आदि प्रकाशित

4 thoughts on “फ़ेसबूक प्रेम

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख! फ़ेसबुक में बहुत सी कमियाँ हैं, बुराइयाँ भी हैं लेकिन अब यह नई पीढ़ी की आवश्यकता बन गया है। समाज पर इसका बहुत प्रभाव है।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    फेस बुक को तो मैंने बहुत देर से अलविदा कह दिया दिया है , इस में सब कुछ नकली है.

  • उपासना सियाग

    सच कहा ये मुखोटों की , तस्वीरों की दुनिया है।सोच समझ हर इंसान को होनी ही चाहिए। सुन्दर और सार्थक लेख।

Comments are closed.