कविता

तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारे जाने के बाद

कुछ दिनों तक
खामोश रहते हैं लब
आंखों की पुतलियों में
उदासी ठहर जाती है

कुछ दिनो तक
सुबह–सुबह
चिड़ियों का चहचहाना
मुझे नही भाता है
बंद रखती हूं
दरवाजे और खिड़कीयां
यादों के चादर ओढ कर
देर तक मैं सोना चाहती हूं

तुम्हारा लाया
लाल गुलाब का वो गुलदस्ता
मुर्झाकर भी
तुम्हारी याद दिलाता है
अंदर ही अंदर जारी रहता है
तुमसे गुपचुप संवाद
कब होती है सुबह, होती है कब शाम
वक्त का पता ही नही चलता
घड़ी में चाभी देना
मै भूल जाती हूं

तुम्हारे
यादों में गहनता से खोए हुए
बनाती हूं जब रोटियां
अक्सर जल जाती है उंगलियां
होता नही जलन का
जरा भी अहसास
और मै ऐंटी सेप्टिक मलहम लगाना
भूल जाती हूँ

कुछ दिनो तक
मेरे कमरे मे मेरे साथ
टहलती है गहरी नीरसता
मैं पुरानी जिन्दगी में
लौग इन करना
भुल जाती हूं
हां —
तुम्हारे जाने के बाद
कुछ दिनो तक !!!!!

****भावना सिन्हा ****

डॉ. भावना सिन्हा

जन्म तिथि----19 जुलाई शिक्षा---पी एच डी अर्थशास्त्र

8 thoughts on “तुम्हारे जाने के बाद

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार और भावपूर्ण कविता !

    • Bhawana Sinha

      aabhar Sir

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    पिआर हो तो ऐसा हो , कविता अच्छी लगी.

    • Bhawana Sinha

      shukriya

    • Bhawana Sinha

      thanx

  • उपासना सियाग

    मैं पुरानी जिन्दगी में
    लौग इन करना

    भुल जाती हूं………बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना।

    • Bhawana Sinha

      thahx

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