गीतिका/ग़ज़ल

लिए अपनी सांसों में

 

लिए अपनी सांसों में  मोंगरे सी  महक आ जाया करो
तुम यूँ ही कभी कभार इधर अचानक आ जाया करो
न जाने  कितने अरमान जगने  लगे है मन के भीतर  मेरे
तुम लिए  सतरंगी चूड़ियों की मधुर खनक आ जाया करो
खिलने लगे है पलाश दूर दूर तक अब तो जंगल में
तुम लिए मौसम ए बहार सी रौनक आ जाया करो
न कोई सुर न कोई ताल  अब अच्छा लगता है  मुझे
तुम लिए अपने पायल की मीठी झनक  आ जाय करो
तुम्हारे ध्यान में मैं रहता आ रहा   हूँ  सतत निमग्न
लगा कर मेरे  दुनियाँ में  होने की भनक आ जाय करो
पृथ्वी ,जल अग्नि वायु आकाश सब बेजान से लग रहे  हैं
फागुनी बयार सी जगाने उनमे उमंग बेशक आ जाय करो
 
किशोर कुमार खोरेन्द्र 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

4 thoughts on “लिए अपनी सांसों में

Comments are closed.