“गौ माता”
“गौ माता”
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गौ माता को बचाना ।
कर्ज दूध का चुकाना।।
गौमाता का रक्षा करना
बच्चों के जीवन को बचाना।
बार-बार गौ माता कहती।
हम लोग बहुत शान्त रहती।।
मैं किसी से कुछ नहीं चाहती।
मैं किसी से कुछ नहीं मांगती।।
सबको हमेशा लाभ ही देती।
सबको हमेशा दूध से सींचती।।
अमृत जैसा दूध देकर।
लोगों के जीवन को सवांरती।।
आज मैं अपना हाल सुनाती।
हिन्दू -मुस्लिम या हो कोई जाती।।
एक साथ सभी लोग से कहती।
देखो मैं कितना कष्ट में रहती।।
कुछ लोग मुझे चन्द पैसो केलिए।
खरीद-बिक्री करते है अपने लिए।।
चली जाती हूं खरीद -बिकी के लिए।
कुछ लोगों के सन्तुष्टि केलिए।।
वो लोग मुझे रखते हैं भूखा।
कुछ दुर तक घसीटते है सूखा।।
मारते है बेरहमी से इतना।
मेरा काम है उस समय सहना।।
चुप-चाप देखा करती हूँ।
बस यही सोचा करती हूँ।।
छोड़ देगे ये कसाई मुझे अब।
लेकिन हैवानियत की कर देते हैं हद।।
उतार लेते खाल को मेरे।
काट डालते मांस को मेरे।।
मैं चुप-चाप सहती रहती हूँ।
क्यों कि इस जगत की मैं एक माँ हूँ।।
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गौमाता पर आपकी सुन्दर कविता को पढ़कर प्रसन्नता हुई। मेरी ओरे से हार्दिक बधाई एवं धन्यवाद। बहुत बहुत शुभकामनायें।
सादर आभार श्रीमान जी।
बहुत खूब ! गौ माता की सेवा से ही देश का कल्याण होगा.
बिल्कुल सही श्रीमान जी सधन्यवाद।