गीतिका/ग़ज़ल

अपनी आंखों से मुहब्बत का बयाना कर दे

अपनी आंखों से मुहब्बत का बयाना कर दे
नाम पे मेरे ये अनमोल खज़ाना कर दे
सिमटा रहता है किसी कोने में बच्चे जैसा
मेरे अहसास को छू ले तू सयाना कर दे

©® लोकेश नदीश

One thought on “अपनी आंखों से मुहब्बत का बयाना कर दे

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत खूब !!

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