“इन्तजार”
इन्तजार ,
करते हैं लोग उस गाड़ी का,
जो समय पर नही आती।
लगाये हुए हैं गाड़ी के आने की आस।
उधर गाड़ी आने की कर रही अनवरत प्रयास।
लेकिन उसे मिल नहीं पा रहा है,
जगह खाली।
इधर यात्री कर रहे हैं,
बेसब्री से इन्तजार।
जैसे कोई करता है,
अपने प्रिये का इन्तजार।
यह कैसी है विडंबना,
इधर है आस,
उधर है प्रयास,
दोनों के आपस में मिलने के बाद।
मिलती है आनन्दानुभूति।
दोनों हो जाते हैं आपस में मग्न।
संग-संग करते हैं दोनों सफर।
आपस में मसगुल।।।