कविता

प्रेम तो है ना ….

प्रेम है तो है
गुलाब नहीं दिया तो क्या
हाँ प्रेम-पत्र भी नहीं लिखा तो क्या
डेट भी नहीं की तो क्या
अपना प्रेम इन सबका मोहताज नहीं
अपना तो रोज ही वेलेनटाईन डे है
अपने प्रेम में बेशुमार प्यार है
समर्पण है , खुशी का अहसास है
विरह की तड़प है
मिलन का अप्रतिम सौन्दर्य है
आत्मसंतुष्टी है
पूर्णता का अहसास है
खट्टी-मीठी नोक-झोंक भी तो है
रूठना-मनाना भी है
एक-दूजे की फिक्र भी है
और विश्वास … विश्वास भी तो है … है ना ??

प्रवीन मलिक

प्रवीन मलिक

मैं कोई व्यवसायिक लेखिका नहीं हूँ .. बस लिखना अच्छा लगता है ! इसीलिए जो भी दिल में विचार आता है बस लिख लेती हूँ .....

6 thoughts on “प्रेम तो है ना ….

  • उपासना सियाग

    बहुत बहुत सुन्दर ………

    • प्रवीन मलिक

      बहुत बहुत धन्यवाद उपासना जी

  • विजय कुमार सिंघल

    प्रेम है और हमेशा रहेगा ! अच्छी कविता !

    • प्रवीन मलिक

      सादर धन्यवाद विजय कुमार सिंघल जी

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    बिलकुल है …… प्यार न दिन तारीख और न समय का मोहताज़ था ना कभी होगा ….. सुंदर रचना

    • प्रवीन मलिक

      धन्यवाद विभी मासी

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