कविता

कविता – जीवन का विस्तार हो चला है

समय के आकाश में तुम
जगमगाते तारों सा ……
विश्वास और प्रेरणा की
अनुपम सौगात ……..
मन की अन्तरिम गहराइयों में ,
तुम्हारे चंद शब्द …..
अपने समय और अपने जीवन को निहारती
थोड़ी अधीर सी मैं …..
जब भी खुद को तलाशती हूँ
तुम्हारे इर्द-गिर्द ,,,
पाती हूँ प्रेरणा के असंख्य सूत्र
जहां से अपने ही जीवन के अनन्य
प्रतिबिम्ब दिखते हैं
रूपान्तरण की अनंत संभावनाएं जब
जगमगाती हैं ,,,,,,,,,,,,,,
सोचती हूँ जीवन का विस्तार हो चला है ……..!!!

संगीता सिंह ”भावना”

संगीता सिंह 'भावना'

संगीता सिंह 'भावना' सह-संपादक 'करुणावती साहित्य धरा' पत्रिका अन्य समाचार पत्र- पत्रिकाओं में कविता,लेख कहानी आदि प्रकाशित

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