होली के दोहे
१
होली आई री सखी , दिन भर करे धमाल
हरा गुलाबी पीत रंग , बरसे नेह गुलाल .
२
द्वारे पे गोरी खडी , पिया गए परदेश
नेह सिक्त पाती लिखी , आओ पिया स्वदेश
३
होरी की अठखेलियाँ , पकवानों में भंग
बिना बात किलकारियाँ , भंग दिखाए रंग
४
दिल ने दिल से बात की , अहं हमारा काम
रक्त करे संचार हम , प्रेम सरोवर धाम
५
नयन मिल गए नयन से , ह्रदय हुआ गुलजार
फूल प्रेम के खिल गए , तन मन दीना वार
६
भेद भाव से दूर ये , होली का त्यौहार
डूबा जोशो जश्न में , यह सारा संसार
७
अम्मा बाबू से कहे , खेले होरी आज
कहा तुनक कर उम्र का , कुछ तो करो लिहाज
शशि पुरवार
aap sabhi mananiy mitron ka hardik dhnyavad
होली को दोहे के रूप में अच्छा दिखाया गया है सुन्दर रचना।
अच्छे रोचक दोहे !
बेहद खुबसूरत