४ क्षणिकायें
1
मेरा मन तेरा घर
रहना आजीवन
चिंता ना कोई डर
2
रखना सच से वास्ता
जीतो या हारो
जग में पा लो रास्ता
3
एक अच्छा हो पाठक
छन्दों की रचना
बनता लेखक साधक
4
लौटा कर दो बचपन
हो मनचाहा सब
होने ना दूँ अनबन
किशोर कुमार खोरेन्द्र