ग़ज़ल (होली है )
ग़ज़ल (होली है )
तन से तन मिला लो अब मन से मन भी मिल जाये
प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है
ले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.
मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है
क्या जीजा हों कि साली हो ,देवर हो या भाभी हो
दिखे रंगनें में रंगानें में ,सभी मशगूल होली है
प्रियतम क्या प्रिय क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं
हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है
ना शिकबा अब रहे कोई ,ना ही दुश्मनी पनपे
गले अब मिल भी जाओ सब, कि आयी आज होली है
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प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
बहुत सुंदर !