मैं भारत की बेटी हूँ…
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च के अवसर पर भारत की संस्कारवान गुणवान बेटियों को नमन करते हुए मेरी एक रचना —-
संस्कारों की नीव जमाती , हर पल आगे बढ़ती जाती ,
वेद ऋचाओं में भी मैं हूँ , आज गगन में पैर जमाती ,
नहीं किसी से हेठी हूँ , मैं भारत की बेटी हूँ |
मात पिता की सेवा करती , सास ससुर के मन भाती,
नन्हे -नन्हे कोमल मन पर , ममता का संसार लुटाती ,
ज्ञान दीप की ज्योति हूँ , मैं भारत की बेटी हूँ |
लक्ष्मी ,सरस्वती और पार्वती , देवी जैसा मान भी पाया ,
धरती,अम्बर और अनल तक , विजय ध्वज मैंने फहराया ,
ममता की अनुभूति हूँ , मैं भारत की बेटी हूँ |
सीता जैसी पतिव्रता हूँ , राधा जैसी प्रेम दीवानी,
जब-जब संकट पड़ा देश पर , लक्ष्मी हूँ झाँसी की रानी ,
अंग्रेजों की काल कटी हूँ , मैं भारत की बेटी हूँ |
इंदिरा जैसी सत्ता शीर्ष पर , कल्पना सी पहचान बनी हूँ,
साहित्य में महादेवी हूँ , हर घर की मैं रानी हूँ,
शिक्षा के दीप जलाती हूँ , मैं भारत की बेटी हूँ |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
अच्छी भावनाएं. भारत को अपनी बेटियों पर गर्व है !
बहुत बढिया .
WAAHHHH SUNDAR